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लो बसंत आ गया है

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लो बसंत आ गया है
सुबह उठते ही अजीब सी शांति मिली मन को
छुट्टी थी बसंत की , स्वागत करे मधुर हवाएँ इसको
कोयल कुहके गा रही , लो बसंत आ गया है
मधुर इस्फुर्ती छाई वातावरण में , लो बसंत आ गया है
न अधिक ठण्ड , न अधिक गरम बारिश फिर भी टप – टप
स्कूल , ऑफिस में कम सब पड़े हैं ठप ठप
सुबह की ठेडी मेडी किरणे , कहें आज लो बसंत आ गया है
तालाब सा कोमल – जल हाथ में शीतल हो गया है , लो बसंत आ गया है
मुग़ल गार्डन में खिली क्यारी , बता रही अपनी बात
चारों तरफ खुशियाँ है छाई , है एक नया आगाज ,लो बसंत आ गया है

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