Menu
blogid : 14147 postid : 12

मूक पंछी

prime
prime
  • 8 Posts
  • 0 Comment

मै हूँ मूक पंछी
आकाश में उड़ता हूँ , ठहरता हूँ
परन्तु मेरे लक्ष में बाधाएं अनेक है
कभी आंधी उडके मुझे झुका देती है
कभी हवईजहज आकर मुझे करता है भयभीत
कभी कोई गिद्ध बना न ले मुझे शिकार
कभी कोई पतंग , कहीं कोई ऊँची दीवार
मै भी बनता हूँ संतुलन बाताबरण ऐ मानव !
मेरा भी कुछ सोचो , नहीं तो तुम हो केवल एक बतियाते दानव !

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply